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आजा मंदिरवा मोरे, पिहरवा अब बिन तोरे कैसे मैं सुख पाउँ ॥ध्रु॥देख देख के तोरी, सुंदर सूरत ॥नादरंग गाये इस मंगल महूरत (पिहरवा अब) ॥१॥
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